इसके पहले की हम जावा के ऑब्जेक्ट की बात करे , में आपका ध्यान हमारी ऱोज काम में आने वाली चीज़े और उनके बनाने के तरीके के बारे में बात करना चाहूँगा । उदहारण के लिए आपके सामने रखे कंप्यूटर को लीजिये । अब सोचिये की क्या इसको किसी एक व्यक्ति अथवा एक कंपनी ने बनाया है । अगर आप का उत्तर हा है तो में आपका बताना चाहता हूँ की ऐसा नहीं है । आपके कंप्यूटर के हर भाग को किसी दूसरी कंपनी ने बनाया है , और जो कम्पनी का नाम आपके कंप्यूटर पर लिखा है उसने तो उन सभी पार्ट्स को सिर्फ अस्सेम्ब्ल किया है ।
अब आप में से कुछ लोग सोच रहे होंगे की इसका जावा के ऑब्जेक्ट से क्या कनेक्शन है ?
अब सोचिये की अगर एक ही कंपनी कंप्यूटर के सारे हिसे खुद बनाये तो कंप्यूटर बनाना कितना मुश्किल होगा ! इसीलिए कंप्यूटर का हर ओज्बेक्ट (पार्ट ) अलग अलग बनता है , और फिर उसे जोड़ कर पूरा कंप्यूटर ।
येही काम ऑब्जेक्ट oriented भाषा में होता है , जहा अलग अलग ओब्जेक्ट्स को जोड़ कर प्रोग्राम लिखा जाता है । और एक ही बार लिखे गए कोड का कही बार प्रयोग किया जाता है ।
इन सभी ओजेक्ट्स में दो बात सबसे अहेम होती है, एक तो इनकी अपनी कुछ पहचान होती है एवं दूसरा इनका कुछ कार्य होता है. जैसे की बिल्ली का नाम होता है,रंग होता है, जाती होती है ,कुछ.क्रियाय होती हैजैसे दोड़ना,कूदना ,एक तरीके से बोलना . दुसरे उदाहरण के लिए आप साइकल को ले सकते है उसमे गेअर होते है, पेडल होते है, उसकी कुछ रफ़्तार होती है और ऐसे ही कुछ खास बाते जो सभी साइकल में सामान होती है
सॉफ्टवेर ऑब्जेक्ट भी बिलकुल असली जीवन के ऑब्जेक्ट की तरह होते है . इनकी भी अपनी अलग पहचान(state) or क्रियाय (behaviour) होता है. यह ऑब्जेक्ट अपनी पहचान variable में स्टोर करता है और अपना behavioral method(functions) के द्वारा उपयोग करता है
software object को एक उदहारण के साथ समझिये :
असली ज़िन्दगी में cycle का software object में हम उसकी गति (speed) , gear , और बाकी सभी states को variable में स्टोर करेंगे . और behaviors जैसे गति बढाना ,gear बदलना इन सबको behaviour method के द्वारा काम में लेंगे | इसका प्रोग्राम आप यहाँ से देख सकते है.
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